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लेखनी कहानी -10-Jan-2023 मुहावरों पर आधारित कहानियां

31. जलन 
इस कहानी में "बिल्ली और दूध की रखवाली" मुहावरे का प्रयोग किया गया है । 

डकैत राधे गूजर के सामने अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया था । उसके गिरोह में 7 डाकू ही रह गये थे । पैसों और अनाज की भारी किल्लत होने के कारण भुखमरी की नौबत आ गई थी । गिरोह के बाकी 6 सदस्य कब छोड़कर चले जायें, कुछ पता नहीं था । डकैत खूंखार सिंह ने कहा "पैसे के बिना कोई गिरोह नहीं चलता है । पैसे से ही हथियार खरीदे जाते हैं और पैसे से ही पेट भरता है । पिछले एक महीने से पैसों का अकाल झेल रहे हैं हम लोग । अब तो खाने को दाने भी नहीं बचे हैं तो कोई डकैत अपने गिरोह में क्यों रहेगा ? तीन डकैत अपना गिरोह छोड़कर "नवला गिरोह" में शामिल हो गये हैं । अगर जल्दी ही पैसों का कोई जुगाड़ नहीं किया तो आप अकेले रह जाओगे इस गिरोह में" । खूंखार सिंह ने सरदार राधे को स्पष्ट कर दिया था । 

डकैत सरदार राधे सोच में पड़ गया । पैसा कहां से आये और कैसे आये ? उसने पैसों के लोभ में तो डकैती शुरू नहीं की थी । पिछले पंचायत चुनाव में जब उसका बाप सरपंच के चुनाव के लिए खड़ा हुआ था तब विपक्षी मोहर सिंह ने उसे धमकी दी थी कि वह अपना नामांकन फॉर्म वापस ले ले नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा । उन्होंने इस धमकी को गंभीरता से नहीं लिया तो मोहर सिंह ने उसके बड़े भाई सुखराम को गांव के बीच चौराहे पर गोली मार दी थी । राधे उस समय महज 17 साल का था । इस घटना से वह इतना उत्तेजित हो गया था कि वह बदला लेने के लिए "गडरिया गूजर" के गिरोह में शामिल हो गया । उसने वहां पर बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली और उसने सबसे पहले गांव के बीच चौराहे पर मोहर सिंह और उसके बेटे निहाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी । उस दिन वह कितना खुश था । मगर उसे यह पता नहीं था कि उसने एक ऐसा जघन्य कृत्य किया है जिसकी सजा फांसी है । सजा से बचने के लिए उसे डकैत बनना ही पड़ेगा और कोई विकल्प बचा ही नहीं था उसके पास । इस तरह उसने अपना एक अलग गिरोह बना लिया था और जुल्म करने वालों को चुन चुनकर मारने का काम शुरू कर दिया था । उसने आम आदमी को लूटकर पैसा कमाने के बारे में कभी सोचा नहीं था । "आज फाकों की नौबत आ गई है तो ये लोग ऐसा कह रहे हैं" । वह सोचने लगा । 

एक अन्य डकैत जल्लाद सिंह ने कहा "हम लोगों को कोई एक बड़ा कांड करना चाहिए जिससे पूरे गांव में हमारे गिरोह की धाक जम जाये । फिर लोग घर बैठे हमें पैसा भिजवाते रहेंगे" । 

सबको यह बात जम गई मगर राधे ने मना कर दिया । उसके दिमाग में कोई दूसरी योजना बन रही थी । उसने सबको रात के बारह बजे तैयार रहने के लिए कह दिया । रात के ठीक बारह बजे डकैत राधे गिरोह अपने मिशन पर चल दिया । थोड़ी देर में वे बाबू सुनार के घर पहुंच गये । डकैतों ने बाबू सुनार का घर चारों ओर से घेर लिया । एक डकैत ऊपर चढ़ गया । एक डकैत ने बंदूक चलाकर दरवाजा तोड़ दिया । दो डकैतों को लेकर राधे घर के अंदर घुस गया । घर में बाबू सुनार नहीं था । उसकी पत्नी और बेटी थे । बाकी सब लोग किसी शादी में गये थे । बाबू सुनार की पत्नी बुखार से पीड़ित थी इसलिए वह जा नहीं पाई थी । उसकी देखभाल के लिए उसकी बेटी रीमा रुक गई थी । 

घर में ज्यादा कुछ नहीं मिला । डकैती निष्फल हो गई थी । राधे सोच में पड़ गया कि अब क्या करें ? अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया और उसने बाबू सुनार की पत्नी की ओर बंदूक तानकर कहा "ऐ लड़की, चुपचाप मेरे साथ चल । ज्यादा चूं चपड़ की तो मैं तेरी मैया को उड़ा दूंगा अभी" । फिर वह बाबू की पत्नी की ओर देखकर बोला "अपने आदमी को पांच लाख रुपए देकर भेज देना । एक हाथ से पैसे देगा तो दूसरे हाथ से लड़की लेगा , समझ गई ना ? जब तक पैसे नहीं आयेंगे तब तक ये लड़की मेरी रखवाली में रहेगी" ।

एक बेबस और बीमार मां क्या कर सकती थी ? खून के आंसू पीकर रह गई । वह सोचने लगी कि ये डकैत उसकी बेटी की रखवाली करेंगे ? "बिल्ली और दूध की रखवाली" ? क्या ये संभव है ? पर उसके पास और कोई चारा नहीं था सिवाय देखते रहने के । 

 राधे डकैत उस लड़की यानि रीमा को अपने साथ लेकर आ गया। बाबू सुनार जब घर पर आया तो उसे सारी बातें पता चली तो वह उनको सुनकर कांप उठा । जवान बेटी का मामला था । उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह पांच लाख रुपए देकर बेटी को छुड़ा सके । लोगों ने सलाह दी कि पुलिस को सूचना कर दो । उसने पुलिस को सूचना दे दी । पुलिस ने चंबल के बीहड़ों में अपना डेरा जमा लिया । राधे डकैत को ऐसी उम्मीद नहीं थी मगर सामने पुलिस को देखकर भागने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था उसके पास । रीमा का मुंह बांध दिया गया और एक डकैत की पीठ पर उसे लाद दिया । पहाड़ियों में बचते बचाते एक महीने का समय हो गया मगर राधे पुलिस के हाथ नहीं आया । थक हार कर पुलिस लौट गई । 

एक महीने तक रीमा डकैतों के बीच रही थी मगर किसी भी डकैत ने उसकी ओर बुरी नजरों से नहीं देखा था । रीमा डकैतों के बीच रहने की अभ्यस्त हो गई थी । दिन भर बैठी बैठी ऊब जाती थी वह इसलिए उसने डकैतों का खाना बनाना शुरू कर दिया था । रीमा के हाथों में जैसे जादू था , बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती थी वह । रीमा सुंदर तो थी ही गुणी भी थी । उसने राधे डकैत के दिल में जगह बना ली थी । रीमा के दिल में भी राधे की कंटीली आंखें और उसकी चौड़ी छाती की छाप पड़ चुकी थी । आग दोनों तरफ लग चुकी थी और एक रात दो बदन एक जान बन गये थे । 

अब रीमा राधे गैंग की एक सदस्य बन गई थी । उसने भी बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ले ली थी । अब वह भी डकैतियों में जाने लगी थी और लूटपाट में हिस्सा लेने लगी थी । राधे और रीमा दोनों एक दूसरे को जी जान से प्यार करते थे । 

समय कब गुजर जाता है पता ही नहीं लगता है । राधे डकैत का गिरोह उस क्षेत्र में काफी मशहूर हो गया था । उस गिरोह में चार पांच डकैत और आ गये थे । अब यह गैंग साधन संपन्न हो गया था । 

एक दिन सभी डकैतों ने एक डकैती की योजना बनाई । उस रात बाकी के डकैतों ने राधे और रीमा को वहीं छोड़ दिया और डकैती करने निकल गये । राधे और रीमा ने खूब मौज मस्ती की । जब डकैत वापस लौटे तो देखा कि उनके साथ एक 16 - 17 साल की खूबसूरत सी लड़की थी ।
"इसे कौन लाया है" ? राधे की आवाज गूंज उठी । डर के मारे सभी लोग चुप हो गये । "लड़की उठाकर लाना मना है फिर भी" ? 
इस अभियान का सरगना जल्लाद डकैत बोला "जिसके यहां डकैती करने गये थे वहां कुछ नहीं मिला तो इसे उठा लाये" 
"अब पुलिस हमारे पीछे फिर से पड़ेगी । हम लोग फिर से भागे भागे फिरेंगे" राधे की बातों में दम था । ऐसा ही हुआ । पुलिस ने फिर से दबिश दी थी और गिरोह को अपनी जगह छोड़नी पड़ी थी । 

गिरोह में अब दो महिलाऐं हो गई थी । दूसरी लड़की का नाम सीमा था । रीमा ने सीमा को छोटी बहन की तरह मान लिया था और वह उसकी संरक्षिका बन गई  थी । 

सीमा रीमा से भी ज्यादा खूबसूरत थी और वह अभी जवानी की दहलीज पार कर रही थी । तंग कपड़ों से उसका यौवन छलक कर बाहर निकलने को बेताब हो रहा था । रंग भी एकदम गोरा चिट्टा था उसका । ऐसे हुस्न पर तो कोई भी फिदा हो सकता था, राधे की तो बिसात ही क्या थी । रीमा को सीमा से जलन होने लगी । वह पहली बार स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही थी । वह भगवान से प्रार्थना करने लगी कि "हे प्रभु , इस बला को यहां से जल्दी टाल नहीं तो अनर्थ होने की संभावना लग रही है"। पर होनी को कौन टाल सकता है । 

एक दिन वह जंगल में लकड़ी काट रही थी । उसका ध्यान चंबल की ओर चला गया । वहां पर सीमा नहा रही थी । उसके भीगे बदन से उसका संपूर्ण यौवन झलक रहा था । उसने चारों ओर निगाहें दौड़ाई तो उसे राधे दिखाई दे गया । वह एकटक सीमा को ही देखे जा रहा था । यह देखकर रीमा के तन बदन में आग लग गई और वह लकड़ियों को छोड़कर सीधा राधे के पास गई और तेज आवाज में बोली 
"ऐसे क्या देख रहा है ? कभी कोई लड़की नहीं देखी है क्या ? नहाती हुई लड़की देखने का इतना ही शौक है तो ले, मैं नहाने जा रही हूं, मुझे देख लेना" । इतना कहकर वह चंबल में नहाने चल दी । 

सीमा ने उसकी सारी बातें सुन ली थी । वह होंठ दबाकर मुस्कुराने लगी । उसकी आंखों से राधे के लिए प्यार उमड़ रहा था । यह देखकर रीमा और चिढ गई । वह सीमा से बोली 
"तेरे को नहाना आता भी है या नहीं ? बिल्कुल नंगापन ले रखा है क्या ? ऐसे चौड़े में कपड़े खोलकर जवान लड़कियां नहाती हैं क्या ? चल, घर जा और खाना बना । मैं आती हूं अभी" । 
उसके अंग अंग से क्रोध की ज्वाला निकल रही थी । सीमा को समझ नहीं आ रहा था कि रीमा उसे क्यों डांट रही है ? "वह तो रोज ही ऐसे नहाती है । और किसी दिन तो नहीं कहा था दीदी ने" । सीमा चुपचाप घर की ओर चल दी । 

इधर रीमा कपड़े उतार कर नहाने लगी उधर सीमा के पीछे पीछे राधे हो लिया । रीमा ने देखा कि राधे ने सीमा की कमर में एक चिकोटी काट ली थी इससे सीमा चिंहुक उठी और राधे को मारने को दौड़ी । राधे बड़ी तेजी से भाग गया और सीमा के हाथ नहीं आया । दोनों की मटरगश्ती देखकर रीमा का रोम रोम जल गया । 

घर पहुंचने के बाद रीमा घर का काम करने लगी । काम में उसका मन नहीं लग रहा था । उसे बार बार राधे द्वारा सीमा की कमर में चिकोटी काटने का दृश्य दिखाई दे रहा था । उसका चेहरा पसीने से लथपथ हो गया । घर पर भी उसने देखा कि सीमा बड़े प्रेम से खाना बना रही थी और राधे बड़े चाव से खाना खा रहा था । राधे सीमा के बने खाने की भूरि भूरि प्रशंसा कर रहा था । रीमा इससे और चिढ गई । 
"हमें तो खाना बनाना आता ही नहीं जैसे ? पलटू कहीं का । कल तक तो उसे मेरे खाने में जन्नत दिखती थी और आज ? सीमा कितना अच्छा खाना बनाती है" ? राधे की नकल उतारते हुए रीमा ने मन ही मन कहा । 

वह दिन भर गुस्से से भरी रही । रात को खाना खाकर जल्दी ही सो गई । रात में जब उसकी नींद खुली तो उसे कुछ आवाजें पास के कमरे से सुनाई दे रही थी । उसने हल्के से उस कमरे की खिड़की खोलकर देखा तो वह आश्चर्य चकित रह गई । सीमा और राधे अंतरंग क्षणों में थे । रीमा एकदम से टूट गई । उसका सब कुछ लुट चुका था । अब वह न तो अपने मां बाप की रही और न ही राधे की । राधे ने सीमा के साथ अंतरंगता बढा ली थी । उसे अब रीमा की जरूरत नहीं थी । रीमा की आंखों से चिंगारी निकलने लगी । 

ईर्ष्या में अंधी होकर औरतें विवेक खो देती हैं । रीमा के साथ भी ऐसा ही हुआ । वह जल्लाद सिंह के पास आ गई और उसके बगल में लेट गई । जल्लाद सिंह की नींद खुल गई और रीमा को अपने बगल में देखकर घबरा गया । वह खड़ा होने लगा तो रीमा ने उसका हाथ पकड़ कर लिटा लिया 
"तू साले मरद नहीं है क्या" ? 
जल्लाद सिंह ने रीमा की आंखों में देखा और दावत पाकर खुश हो गया । उसकी तो बांछें खिल गई । रीमा सुबह जानबूझकर देर से जगी तो राधे ने पूछ लिया "कहां से आ रही है तू" ? 
रीमा को गुस्सा आ गया "तेरी घरवाली हूं क्या जो इस तरह हुकम चला रहा है । तू क्या समझता है कि केवल तुझे ही सीमा के संग सोने का अधिकार है ? मैं जल्लाद के संग थी रात भर । बोल तुझे कोई ऐतराज है" ? 

जल्लाद सिंह का नाम सुनकर राधे बिफर गया । बोला "साली, मुझसे जबान लड़ाती है ? मैं चाहे किसी के साथ भी सोऊं पर तू और किसी के साथ नहीं सो सकती है । समझी तू" ? 

रीमा राधे पर एक बेपरवाह निगाह डालकर उसे चिढाते हुए वापस चल दी । राधे को यह नागवार लगा । वह कमरे से बंदूक ले आया और रीमा पर तानते हुए बोला "खबरदार जो एक कदम भी आगे बढाया, भून कर रख दूंगा" । सारे डाकू वहां आ गये । रीमा ने देखा कि जल्लाद के हाथ में बंदूक है । उसने राधे की ओर थूक उछाल दिया और आगे बढ गई । 
"धांय" और एक चीख के साथ रीमा जमीन पर गिर पड़ी । 
"धांय" और दूसरी चीख के साथ राधे का शरीर वहीं लुढक गया । 
धांय" की आवाज के साथ एक गोली आसमान में चली और जल्लाद सिंह की आवाज गूंजी "आज से इस गिरोह का मैं सरदार हूं । जो मुझे सरदार मानते हैं वे अपनी बंदूक जमीन पर रखकर उधर टीले के पास खड़े हो जायें और जो नहीं मानते हैं वे मरने के लिए तैयार हो जायें" । 

एक एक करके सारे डाकू अपनी अपनी बंदूक जमीन पर रखकर टीले के पास खड़े हो गये । केवल सीमा ही रह गई थी । 
"तेरे लिए अलग आदेश देना पड़ेगा क्या साली ? चल इधर आ" और उसने सीमा को अपने पास बुलाकर उसकी कमर में हाथ डाल दिया । 

श्री हरि 
29.1 2023 

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14 Comments

अदिति झा

03-Feb-2023 01:41 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Feb-2023 06:59 PM

हार्दिक अभिनंदन मैम

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Gunjan Kamal

02-Feb-2023 12:52 PM

बेहतरीन

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Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Feb-2023 06:59 PM

हार्दिक अभिनंदन मैम

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Varsha_Upadhyay

01-Feb-2023 06:52 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Feb-2023 06:59 PM

धन्यवाद मैम

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